योगा को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के फायदे | what is yoga , what is benefit of yoga





योगा को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के फायदे 

What is the benefit of yoga

       योग का अर्थ एकता या बांधना है। ये शब्द संस्कृत शब्द युज से लिया गया है , जिसका मतलब है जोड़ना है। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है।

योगा के प्रकार :-
योग आठ प्रकार का होता है ,
(1) यम (2) नियम (3) आसन (4) प्राणायाम (5) प्रत्याहार (6) धारणा (7) ध्यान (8) समाधि। उक्त आठ अंगों के अपने-अपने उप अंग भी हैं। वर्तमान में योग के तीन ही अंग प्रचलन में हैं- आसन, प्राणायाम और ध्यान।

योगा को क्यों अपने दिनचर्या में शामिल करे .
आज इंटरनेशनल योग दिवस है , लेकिन कोरोना के चलते इसे बिना किसी भीड़ भाड़ या किसी जमाबदे के इसे लोग अपने अपने घरो में मना रहे है | लोग अपने घरो में योग मुद्रा में फोटो क्लिक करके सोशल मीडिया पर डाल रहे है, साथ ही साथ योगा करने के फायदे भी समझा रहे है , सही मायने में आज के समय में कोरोना ने लोगो के जीने का ढंग और तरीका दोनों में बड़ा बदलाव ला दिया है | लोग घरो तक ही सीमित हो चुके है , ऐसे में लोगो की मानसिकता भी बदल रही है , लोग उनके बढ़ते तनाव के कारण अलग अलग तरह की बीमारियों का सामना कर रहे है , ऐसे में योगा की भूमिका और भी बढ़ जाती है , क्युकी योग एक ऐसी विधा है जो आपको शारीरिक रूप से तो स्वस्थ रखती ही है साथ ही साथ आपको मानसिक रूप से भी परिपक्व बनती है , इसलिए योगा को हमे अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए |

योग करने के फायदे :-
वैसे तो हम सब जानते है कि योगा के बहुत फायदे होते है , हमारी संस्कृति में योगा को पुरातन समय से ही एक खास महत्व दिया गया है ,योगा से खुद को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखा जा सकता है , साथ ही साथ इसकी मदद से आप लम्बे समय तक जीवित रह सकते हो , लेकिन इसके लिए योगा को हमे अच्छे से समझ कर अपनी दैनिक कार्यक्रम में शामिल करना होगा , और नियमित रूप से  करते रहना होगा , तभी इसके सही मायने असली फायदा उठाया जा सकता है |

क्यों जरुरी है आज के समय में योगा :-
 covid - 19 के चलते योगा की भूमिका अहम् है , क्युकी अभी भी कोरोना की कोई भी दवा उपलब्ध नहीं हो पायी है ,और कोरोना में इंसान की स्वसन प्रिक्रिया बाधित होती है , इसलिए एक मात्र उपाय मैडिटेशन ही है , जिससे हम अपनी इम्युनिटी सिस्टम को स्ट्रांग रख सकते है , इसलिए योगा रोज करना चाहिए |

योग करने का सही समय :-
  हमारे आयुर्वेद शास्त्र में योगा करने का सही समय सुबह जल्दी उठकर करने को बताया है , सुबह सुबह उठ करने का एक और फायदा होता है ,सुबह के समय हमारे बाताबरण में पोलुशन काम होता है, और दूसरा हमारा माइंड फ्रेश होता है , ऐसे में योगा के फायदे अधिक होते है |

कोनसे तीन योगा है जो हमे रोज करने चाहिए :-

अनुलोम-विलोम प्राणायाम / Anulom Vilom प्राणायाम
करने का तरीका :-

ध्यान के मुद्रा में बैठें।
बायीं नासिका से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचे।
श्वास यथाशक्ति रोकने (कुम्भक) के पश्चात दायें नाक श्वास छोड़ दें।
पुनः दायीं नाशिका से श्वास खीचें।
यथाशक्ति श्वास रूकने (कुम्भक) के बाद स्वर से श्वास धीरे-धीरे निकाल दें।
जिस स्वर से श्वास छोड़ें उसी स्वर से पुनः श्वास लें और यथाशक्ति भीतर रोककर रखें…
क्रिया सावधानी पूर्वक करें, जल्दबाजी ने करें। थक जाने पर थोड़े देर आराम कर सकते है |
लाभ:-
शरीर की सम्पूर्ण नस नाडियाँ शुद्ध होती हैं।
शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है।
भूख बढती है।
रक्त शुद्ध होता है।

सावधानी:-
नाक पर उँगलियों को रखते समय उसे इतना न दबाएँ की नाक कि स्थिति टेढ़ी हो जाए।
श्वास की गति सहज ही रहे।
कुम्भक को अधिक समय तक न करें।

   कपालभाति प्राणायाम / Kapalbhati Pranayam
 कपालभाति विधि:-
कपालभाति प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ है, मष्तिष्क की आभा को बढाने वाली क्रिया।
इस प्राणायाम की स्थिति ठीक भस्त्रिका के ही सामान होती है परन्तु इस प्राणायाम में रेचक अर्थात श्वास की शक्ति पूर्वक बाहर छोड़ने में जोड़ दिया जाता है।
श्वास लेने में जोर ने देकर छोड़ने में ध्यान केंद्रित किया जाता है।
कपालभाति प्राणायाम में पेट के पिचकाने और फुलाने की क्रिया पर जोर दिया जाता है।
इस प्राणायाम को यथाशक्ति अधिक से अधिक करें।
लाभ:-
हृदय, फेफड़े एवं मष्तिष्क के रोग दूर होते हैं।
कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है।
मोटापा, मधुमेह, कब्ज एवं अम्ल पित्त के रोग दूर होते हैं।
मस्तिष्क एवं मुख मंडल का ओज और तेज बढ़ता है।

भ्रामरी प्राणायाम / Bhramri Panayam
 भ्रामरी प्राणायाम विधि:-
आसन में बैठकर रीढ़ को सीधा कर हाथों को घुटनों पर रखें . तर्जनी को कान के अंदर डालें।
दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे-धीरे ओम शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज में कंठ से भौंरे के समान गुंजन करें।
नाक से श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दे।
पूरा श्वास निकाल देने के पश्चात भ्रमर की मधुर आवाज अपने आप बंद होगी।
इस प्राणायाम को तीन से पांच बार करें।
लाभ:-
स्वर में मधुरता आती है।
ह्रदय रोग के लिए फायदे पहुंचाता है।
मन की चंचलता दूर होती है एवं मन एकाग्र होता है।
पेट के विकारों का खात्मा करती है।
उच्च रक्त चाप पर नियंत्रण करता है।

धन्यबाद जी |

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